संभार्य थियेटर फेस्टिवल में ''राम लाल हुआ फरार'' पिछड़ी मानसिकता पर किया वार

राम लाल फ़रार है, एक ऐसे चरित्र की कहानी है जो लेखक से बगावत कर देता है और पूरी कहानी को बदल देता है| वो कहता है कि लेखक और कलाकार संवेदनशील होने का ढोंग भर करते हैं ,पर वास्तव में उन्हें न तो असलियत की कोई समझ होती है न ही संवेदना| वो केवल आर्टिस्ट होने का दंभ रखते है , पर असल वो भी उसी सामंतवादी दृष्टिकोण से ग्रसित होते हैं| दूसरी कहानी एक बालक के बचपन में भोगे गए अन्याय और उत्पीडन पर केन्द्रित है| किस तरह एक छोटी जाति के बालक के लिए ऊँची जाति के समाज में रहना , पीड़ा और दुःख का पर्याय बन जाता है और उन्हीं से लड़कर वो समाज में अपने लिए सम्मान और बराबरी हासिल करता है |
नाट्य उत्सव में संभार्य सोशल फाउंडेशन ,जज्बा फाउंडेशन , इंडियन कंज्यूमर फेडरेशन, एनएचपीसी, बंधन बैंक, सर्वोदय हॉस्पिटल, एनजीओ गुरुकुल, लाइफ आर्ट का विशेष सहयोग रहा। आज फरीदाबाद के नाटक निर्देशक मुकेश भाटी और राधा भाटी द्वारा निर्देशित नाटक मौसा जी और परमात्मा का कुत्ता का मंचन स्याम 6:30 बजे होगा।#"Ram Lal Hua absconding" at Sambhadaya Theater Festival attacked on backward mentality
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