फरीदाबाद (दुष्यंत त्यागी abtaknews.com) 21 जून। हरियाणा सरकार प्रदेश में बागवानी पर बिशेष रूप से सक्रिय है और सरकार की इसी बागवानी मुहिम को फरीदाबाद का गांव फतेहपुर बिल्लोच पिछले लगभग 35 सालों से संजोकर रखे हुए । गांव फतेहपुर बिल्लोच के किसान अपनी इसी फूलों की खेती को लेकर पूरे दिल्ली एनसीआर में विख्यात हैं। गांव के खेतों में 12 महीने रंजनीगंधा, लिली, ग्लाईडोला, गेंदा और गुलाब के फूल लहलाहते हुए नजर आते हैं। जिन्हें किसान राजधानी क्षेत्र दिल्ली की गाजीपुर मंडी में बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। सबसे बडी बात तो हैं कि इस गांव के किसान आधुनिक लाभकारी खेती करते हैं इन फूलों की खेती को गर्मी के मौसम में भी पानी की कम मात्रा में किया जाता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि हरियाणा सरकार पूरे प्रदेश में बागवानी और लाभकारी खेती करने के लिये किसानों से गुहार लगा रही है और इसे बढावा देने के लिये पूरी तरह से सकारात्मक रविया अपनाये हुए है। मगर आपको जानकर खुशी होगी कि पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में मात्र फरीदाबाद का गांव फतेहपुर बिल्लौच ऐसा गांव है जिसके किसान अपने खेतों में प्राचीन खेती को छोडकर आधुनिक और लाभकारी फूलों की खेती करते हैं। बता दें कि पृथला विधानसभा में आने वाले गांव फतेहपुर बिल्लोच में लगभग 35 सालों से गांव के किसान बागवानी को संभालकर रखे हुए हैं, जी हां पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में एक मात्र गांव ऐसा है जहां सबसे अधिक मात्रा में फूलों की खेती की जाती है, जो पेड पौधे लगाने जैसे अभियान में एक मात्र हिस्सा ही नहीं बल्कि सहायक भी है।
खेतों में लहराहते हुए रंजनीगंधा, लिली, ग्लाईडोला, गेंदा-गुलाब के फूलों की खुशबू और हरियाली सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। फतेहपुर बिल्लौच गांव ने देश ही में नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोडी है। इस गांव में सालों साल से रजनीगंधा ही नहीं अन्य फूलों की भी खेती की जाती है। जिसमें लिली, ग्लाईडोला, गेंदा और गुलाब के फूल भी शामिल हैं।
इस संबंध में यहां के किसान यशमोहन सैनी ने और ओमवती ने बताया कि वह कई बर्षो से फूलों की खेती कर रहे हैं, एक एकड खेत में करीब 80 हजार रूपये के बीज लगते हैं और उसके बाद उसमें खाद्य और पानी की लागत को लगाकर करीब सवा लाख रूपये का खर्च आता है मगर उन्हें एक एकड में लगे फूलों के गाजीपुर मंडी में करीब 3 लाख रूपये मिलते हैं जिनसे उनकी लागत भी निकल जाती है और उन्हें बचत भी हो जाती है, इसलिये पूरा गांव गेंहू और धान की फसल को छोडकर फूलों की ही खेती करता है क्योंकि गेंहू और धान की फसल में लगभग 20 हजार रूपये की ही बचत हो पाती है।
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