गठबंधन या ठगबंधन ;-हृदय गुप्ता
उत्तर प्रदेश (-abtaknews.com हृदय गुप्ता) यूँ तो भारत में राजनिति का स्तर बिलकुल ही लगा है और राजनेता भी | इतिहास में ना जाने कितने तरह के राजनीतिक किस्से दर्ज है जो आम लोगों कि सोच और समझ के बहार है | राजनीति कि बात हर कोई करता है और भला करे भी क्यों ना इस तेज़ी से विकसित हो रहे देश में सालभर कोई ना कोई और कहीं ना कहीं चुनाव चलते रहते है | चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याक्षी अभी जीवन पूंजी क्या कर्जा ले कर भी दाव पर लगा देते है और कुर्सी जी जंग लड़ते है | इतनी मेहनत वो इस लिए करते है क्योंकि वह जानते है कि सत्ता का लाभ किस तरह उठाया जा सकता है |
सत्ता में आने कि लिए राजनीतिक दल भरपूर प्रयास करते है जिसमें गठबंधन अहम् भूमिका निभाता है | गठबंधन क्या होता है ? कैसे होता है? इसके लाभ हानि क्या है ? ये बाते तो सब जानते है और इतिहास के पन्नों में सफल से लेकर सबस ज्यादा असफल गठबंधनों का ज़िक्र शामिल है | विषय यह है कि सत्ता का ऐसा भी क्या लाभ है जिसके लिए पार्टियां इतना गिर जाती है कि जिनकी सालों से बुराई करती आ रही थी उन्हीं को गले लगा लेती है | ज्यादा पुरनी बात ना करे तो दिसम्बर 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन कर लिया जिसकों वह सबसे बुरी और भ्रष्ट राजनीतिक दल बताते थे | इसी प्रकार 2015 में हुए बिहार चुनाव में नितीश और लालू ने महागठबंधन कर प्रदेश में अपनी सरकार बनायीं |
गौरतलब है कि ऊपर दिए गए दोनों उदहारण सिर्फ सत्ता में आने के लिए और अपनी सरकार बनाने के लिए किये गए थे और यह दोनों ही ऐसे गठबंधन रहे जिसमें विलय होने वाले दलों कि बिलकुल नहीं बनती थी | ऐसे गठबंधन का उद्देश्य निश्चित ही साफ़ राजनीति करना किसी भी रूप से साबित नहीं होता | केवल सत्ता में आना ही तो ऐसे दलों से क्यों ना गठबंधन किया जाये जो सिर्फ देश के हित में काम करना चाहते है |
इस पुरे राजनितिक खल को बखूबी इस वर्ष होने वाले 5 राज्यों में देखा जा सकता है जिसमें उत्तर प्रदेश में हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबन्ध बहुत खास साबित होगा | उसी तरह पंजाब में अभी तक कहना मुश्किल है कि जनता किसे बहुमत देगी | निःसंदेह ही देश विकसित हो रहा है, लोग राजनीती को गंभीरता से लेने लगे है, जनता पहले के मुकाबले खासी समझदार हो चुकी है | ऐसे में ठगबंधन के उद्देश्य से हो रहे राजनितिक गठबंधनों का सफल होना मतदाताओं कि सक्रियता पर एक बड़ा सवाल है | इन 5 राज्यों के चुनावों में ही नहीं बल्कि हर एक चुनाव में आज के मतदाता के लिए यह ज़रूरी है कि वह ऐसे प्रत्याक्षी को अपना मत दे जो स्वयं के ही नहीं बल्कि देश के हित में काम करें | राजनीति में सफाई कि खासी ज़रूरत है और यही देश के अन्दर कि गंदगी को भी साफ़ करेगी |
लेखक; – हृदय गुप्ता एक युवा लेखक व विचारक है
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